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Essay On Disaster Management(प्राकृतिक आपदा)

 
इस आपदाओं में भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, बाढ़, भयंकर तुफान शामिल हैं। ये सभी प्रकृति से  सम्बंधित है। पृथ्वी की परतों के बीच अचानक हुए घर्षण के कारण उत्पन्न ऊर्जा से भूकंप आता है।  ज्वालामुखियों में हो रही कम्पन  भी भूकंप का कारण हो सकती है। जापान एक ऐसा देश है, जिसे ज्वालामुखियों का देश कहा जाता है। यहाँ पर भूकंप का प्रकोप आम रूप से देखा जा सकता है। भूकंप की तीन या कम रिक्टर की तीव्रता को गंभीर नहीं लिया जाता। परन्तु जिस के बारे मै मनुष्य कूच भी नहीं के सकता है  यह आपदा कब आए व कब सबको अपना शिकार बना जाए कोई कह नहीं सकता।
भूकंप में धरती फट जाती है व तीव्र झटके लगते हैं। धरती में बहुत तेज कंपन्न होती है, जिससे बड़ी-बड़ी इमारतें पत्तों की भांति ढह जाती हैं। सारा शहर या तो ढह जाता है या धरती फटने से उसमें समा भी सकता है। भूकंप से समुद्र में सुनामी आने का खतरा बढ़ जाता है। यदि भूकंप से उठने वाली तेज तरंगों का प्रभाव क्षेत्र समुद्र की सतह है, तो यह सीधा प्रभाव लहरों पर डालती है। इससे लहरें विशाल व भयानक रूप धारण कर भयंकर तबाही ला सकती हैं। भूकंप से भूखलन व हिमखलन भी होता है। इसकी तरंगों के क्षेत्र में जो भी स्थान आता है, वहाँ भयंकर स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सुनामी ने गत वर्षों में भारत के तटवर्तीय क्षेत्रों तथा जापान में भयंकर कोहराम मचाया था।
वर्षा की तीव्रता के कारण भयंकर बाढ़ आती है और आबादी का एक बड़ा क्षेत्र इससे प्रभावित हो जाता है। मनुष्य कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो गया हो परन्तु प्रकृति के आगे बेबस हो नकारा सिद्ध हो जाता है। प्रकृति का रौद्र रूप तब उसका उपहास उड़ाता प्रतीत होता है। मनुष्य ने कितने भी आविष्कार किए हों परन्तु प्रकृति आपदाओं से अछूते रह पाना उसके बस की बात नहीं है। जापान जैसा समृद्ध और विकासशील देश सुनामी और भूकंप के आगे घास के तिनको के समान बिखर जाता है। ये आपदाएँ सदियों से कई सभ्यताओं का अन्त कर चूकी हैं और करती रहेगीं।