रामनवमी

 

रामनवमी एक भातीय त्यौहार है जो राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्री राम के जन्म का प्रतीक है। यह उन सभी के लिए सदियों पूर्व अयोध्या में एक खुशी का अवसर था, जब राजा दशरथ के पुत्र और अयोध्या के उत्तराधिकारी का जन्म हुआ था। यह राजा के लिए एक दिव्य सपने के सच होने जैसा था, क्योंकि अपने एक उत्तराधिकारी की कमी ने उसे कई सालों तक परेशान किया था।

भगवान राम, भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं जो मानव रूप में अजेय माने जाने वाले रावण का वध करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। ब्रह्मा जी को सभी देवताओं ने सहायता करने के लिए आह्वाहन किया था क्योंकि रावण का अत्याचार धरती पर बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन भगवान ब्रह्मा ने रावण को बहुत सारे वरदान दिए हुए थे, जिनमे से एक यह था कि उसको किसी एक भगवान द्वारा नहीं मारा जा सकता था। लेकिन रावण इतना अधिक अहंकार से भर गया था कि उसने कभी भी इंसान से खतरे की उम्मीद नहीं की थी। इसलिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र राजकुमार राम के रूप में पृथ्वी पर जाने को तैयार हुए। 

भगवान राम की कथा का वर्णन रामायण में भी किया गया है और अधिकांश भारतीय विभिन्न जाति, पंथ और धर्म के बावजूद यह जानते हैं। कि भगवान राम एक दिव्य पुरुष थे, वे उन सभी लोगों का प्रतीकात्मक स्वरुप है, जो अच्छे और सच्चे हैं, और जिस व्यक्ति ने राक्षस राजा रावण का वध किया था। भगवान राम सिर्फ एक नायक ही नहीं हैं, बल्कि हिंदुओं द्वारा उन्हें भगवान का स्थान दिया गया है। इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनका जन्मदिवस पुरे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम के साथ में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में नौ वें दिन मनाया जाता है, जो मार्च अप्रैल के महीने में पड़ता है।

इस त्यौहार को मनाने का तरीका सांस्कृतिक रूप में अलग अलग है, कुछ लोग इस दिन व्रत रखना पसंद करते हैं व कुछ भजन गायन करके अपना दिन व्यतीत करते है। व्रत रखने वाले व्यक्ति के आहार में हल्दी, लहसुन, अदरक या प्याज के बिना किसी भी रूप में बनाए गए आलू शामिल होंगे। वह किसी भी तरह के फल और मूल सब्जियां खा सकता हैं। दही, चाय, कॉफी, दूध और पानी आदि का सेवन भी किया जा सकता है।

भगवान राम, उनके भाई लक्ष्मण और उनकी पत्नी सीता के अद्भुत कार्यो की प्रशंसा करते हुए गीत गाए जाते हैं। घर की साफ़ सफाई की जाती है और पूजा की तैयारी में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी की तस्वीरों व् प्रतिमाओं को मंच पर लगाया जाता है। सभी देवताओं के समक्ष फूल और धूप रखे जाते हैं। पूजा स्थल में दो थालियां तैयार रखी जाती हैं। एक में प्रसाद होता है और दूसरे में पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएं जैसे रोली, अनिपन, चावल, पानी, फूल, एक घंटी और एक शंख इत्यादि।