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ग्रहावस्था फल

 

 

दिप्तावस्था में ग्रह कार्यसिद्धि करता है | 
 
दीनावस्था में जातक को दुःख प्राप्ति होती है |
 
मुदितावस्था में आनन्द, सुख एवं प्रसन्नता का लाभ होता है |
 
स्वस्थावस्था में जातक को कीर्ति लाभ होता है और धन-प्राप्ति का योग बनता है |
 
सुप्तावस्था में शत्रुओं के आक्रमण की चिन्ता रहती है तथा अंग-भंग से दुःख-प्राप्ति होती है |
 
पीडितावस्था में धन-हानि का घटा उठाना पड़ता है |
 
दीनावस्था में उन्नति में गतिरोध उपस्थित होता है |
 
मुषितावस्था में कार्य का नाश होता है |
 
सुवीर्यावस्था में उत्तम वाहनादि का योग बनता है |
 
अधिविर्यावस्था में राज्यसम्मान, प्रमोशन, उन्नति तथा धन-लाभ होता है |