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वर्ष अरिष्ट योग

 

 

वर्षलग्नेश, अष्टमेश और मुन्थेश ४, ८, १२वें स्थान में हों, या जन्म लग्नेश अथवा चन्द्रमा अनेक पापग्रह से युक्त हो कर आठवें स्थान में हो और शनि वर्ष लग्न मे ही हो, तो वह वर्ष जातक के लिए अनिष्टकारक होता है |
 
जन्म लग्नेश जन्म तथा वर्ष में निर्बल हो और वर्षफल में अष्टमेश लग्न मे हो और उस पर सूर्य की दृष्टि हो, तो वह वर्ष जातक के लिए प्राणघातक होता है |
 
वर्षेश के साथ क्रूर ग्रह का मुशरीफ हो, तो वर्ष में जातक पर कई विपत्तियाँ आती हैं |
 
मुन्थेश और लग्नेश अस्त हों तथा उन पर शनि कि दृष्टि हो, तो उस वर्ष जातक कि पत्नी की मृत्यु सम्भव है, साथ ही जातक सन्तान पक्ष की ओर से भी हानि उठता है |
 
क्रूरग्रह बलवान होकर ६, ८, ११वें स्थान में हो तथा शुभग्रह निर्बल होकर ६, ८, ११वें स्थान में हों, तो जातक वर्ष-भर मानसिक चिन्ता, रोग, कलह और धन-हानि से पीड़ित रहता है |
 
शुक्र नीच राशि में और ब्रहस्पति शत्रु राशि में हो, तो उस वर्ष जातक नाना प्रकार के कष्ट सहन करता है और यदि शक्र ८वें भाव में और अष्टमेश लग्न में हो, तो उस वर्ष जातक कि मृत्यु भी हो सकती है |
 
नवम भाव का स्वामी तथा दुसरे भाव का स्वामी निर्बल हो और पापग्रह लग्न में हो, तो उस वर्ष जातक का संचित द्रव्य मुकदमेबाजी में खर्च हो जाता है |
 
चन्द्रमा नीच राशि में हो तथा शुभ अस्त हो, तो उस वर्ष जातक के कई सम्बन्धियों की मृत्यु हो जाती है |
 
वर्षलग्न, जन्मलग्न, जन्मराशी से ८वें हों, तो उस वर्ष जातक को क्षय की बीमारी होती है |
 
जन्मकल में जो ग्रह आठवें भाव में हो, यदि वह ग्रह वर्षफल में लग्न में हो, तो जातक उस वर्ष विभिन प्रकार के दुःख भोगता है |
 
जन्मलग्नेश तथ वर्षलग्नेश पापयुक्त होकर आठवें स्थान में हों, तो उस वर्ष जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है |
 
जन्मलग्नेश, वर्षेश और मुन्था तीनो बारहवें, चौथे, आठवें और छठे स्थानों में से किसी में भी एक साथ हों, तो जातक की मृत्यु भी हो सकती है |
 
शनि के साथ चन्द्रमा बारहवें स्थान में हो और शुक्र छठें स्थान में हो, तो धन का नाश होता है |
 
यदि शनि व शुक्र के साथ किसी पापग्रह का ईशराफ योग हो और उन पर शुभग्रह की दृष्टि न हो, तो जातक को राज्य-पक्ष से हानि उठानी पड़ती है |
 
चन्द्रमा अस्तगत होकर ६, १२, ८ या चौथे स्थान में हो, तो जातक वात, पित्त, कफ कि विकार से ग्रस्त होकर सन्निपात अवस्था को प्राप्त होता है |
  
त्रिराशिपति नीच राशि में पापदृष्टि हो, तो इच्छित कार्य का नाश होता है |
 
चन्द्रमा बारहवें, छठें, आठवें, पहले या सातवें स्थान में हों और उस पर पापग्रह की द्र्ष्टि हो, तो उस वर्ष जातक के कई सम्बन्धियों की मृत्यु होती है | 
 
मुन्था क्रूर ग्रह के साथ में हो और शनि उसे देखता हो, तो यह जातक के लिए अनिष्टकारक होता है |