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विक्रमादित्य का राजपाट गया

 
विक्रमादित्य का राजपाट गया
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार साढ़ेसाती के प्रभाव से राजा विक्रमादित्य को अनेक मुसीबतें उठानी पड़ी थी। राजपाट छीन जाने के बाद चोरी का इल्जाम लगा और कोल्हू के घर कोल्हू खींचने का काम करना पड़ा था। यहां तक कि उनके हाथ-पैर कटवा दिए गए।
 
उनकी विपदा देखकर एक मुनिवर ने उन्हें कहा कि शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। इसे दूर करने के लिए माघ माह के कृष्ण पक्ष की मौनी अमावस्या पर शनिदेव की पूजा करें और राजा दशरथ के शनि स्त्रोत का पाठ करें। 
 
विक्रमादित्य ने शनिदेव का तेल से अभिषेक कर तिल, उड़द, अक्षत, लोहा का दान किया व शनि स्त्रोत पढ़ा। 
 
शनिदेव ने प्रसन्न होकर राजा को राजपाट लौटाया और वरदान दिया कि जो भी मनुष्य मौनी अमावस्या पर जप, तप, दान करेगा। उस पर आने वाले 10 माह तक राशि परिवर्तित होने पर भी कृपा बरसेगी।