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रीछपति जामवंत का अहंकार टूटा

 

जब राम रावन युद्ध समाप्त हुआ जिसमे राम जी की विजय हुई और रावन का विनाश हुआ सभी राम सेना  लौटने को तैयार हो गयी  तब जामवंत जी ने प्रभु श्री राम से कहा की प्रभु इतना बड़ा युद्ध हुआ मगर मुझे पसीने की एक बूँद तक नहीं गिरी तो उस समय प्रभु श्री राम ने मुस्कुरा और चूप रहे क्यों की श्री राम समझ गए की जामवंत जी के अन्दर अहंकार प्रवेश कर गया है | प्रभु अपने भक्तो में अहंकार एक बूँद भी नहीं रहने देते |फिर जब राम जी बैकुंठ की चले गए फिर द्वापर युग में वे जब कृष्ण अवतार लिए और जब श्री कृष्ण को  मणि चोरी का लांछन लगा तो और वो मणि की तलाश में गुफा में गए तब जामवंत जी उनको पहचान  नहीं पाए और उनको मल्य युद्ध के लिए ललकार दिया फिर श्री कृष्ण जी से बहुत देर तक युद्ध हुआ और फिर जामवंत को पसीने की धार निकलने लगि तब जामवंत जी ने श्री कृष्ण जी से पूछा आप कौन है तब श्री कृष्ण ने राम रूप में जामवंत जी को दर्शन दिया | और जामवंत जी को बताया की आज आप का अहंकार टूट गया | फिर जामवंत जी ने श्री कृष्ण जी से अपनी पुत्री जामवंती का विवाह कराके ब्रह्म लोक को चले गए |