सूर्य

 

 

पूर्णबली सूर्य की दशा हो, तो जातक को व्यापार में लाभ, राज्य में सम्मान और धार्मिक कार्यों व्यय कर समाज में सम्मान प्राप्त होता है |
      मध्यबली सूर्य की दशा में जातक को नवीन वाहन प्राप्त होता है, समाज मे सम्मान मिलता है, ज्वर से कष्ट होने के अतिरिक्त वह मानसिक चिंताओं से भी ग्रस्त रहता है |
         अल्पबली सूर्य जातक को सब प्रकार के रोगों से ग्रस्त रखता है |
परिवार में व्यर्थ में वाद-विवाद बढ़ता है, सोचे हुए कार्य सम्पन्न नहीं होते और मूकदमे आदि में उसकी पराजय होती है |
         यदि वर्ष में नष्टबलि सूर्य की दशा हो, तो जातक का तिरस्कारपूर्वक स्थानान्तरण होता है | भाईयों और पुत्रों में धन-सम्बन्धी विवाद बढता है और बुद्धिभ्रम से कई सोचे हुए कम अपूर्ण रहकर जातक को दुःख प्रदान करते हैं |
   यदि सूर्य लग्न से ३, ६, १०, ११वें स्थान में हो और निर्बल भी हो, तो भी आधा फल  देता है और हीनबली होकर पूर्वोक्त स्थानों पर हो, तो मध्यत्व का फल देता है, मध्यबली हो, तो पूर्णबल का फल देता है एवं उत्तमबली होकर इन स्थानों में हो, तो अत्यन्त शुभफल देता है |