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Mahashivratri Fast Story

 
महाशिवरात्रि का व्रत हिंदी विक्रमी सम्वत के फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। शिवरात्रि न केवल व्रत है, बल्कि त्यौहार और उत्सव भी है। इस दिन भगवान भोलेनाथ का कालेश्वर रूप प्रकट हुआ था।  महाकालेश्वर शिव का वह शक्ति रूप हैं जो सृष्टि के अंत के समय प्रदोष काल में अपनी तीसरी नेत्र की ज्वाला से सृष्टि का अंत करता हैं। महादेव चिता की भष्म लगाते हैं, गले में रूद्राक्ष धारण करते हैं और नंदी बैल की सवारी करते हैं साथ ही भूत, प्रेत, पिशाच ये सभी शिव के अनुचर हैं। 

ऐसा अमंगल रूप धारण करने पर भी महादेव अत्यंत भोले और कृपालु हैं जिन्हें भक्ति सहित एक बार पुकारा जाय तो वह भक्त के हर संकट को दूर कर देते हैं। महाशिवरात्रि की कथा में शिव जी के इसी दयालु और कृपालु स्वभाव का परिचय देखने को मिलता है। 

महाशिवरात्रि व्रत कथा - Mahashivratri Fast Story :

एक शिकारी था, जो शिकार करके अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था। एक दिन की बात है शिकारी पूरे दिन भूखा प्यासा शिकार की तलाश में भटकता रहा परंतु कोई शिकार हाथ न लगा। शाम होने को आई तो वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया। वह जिस पेड़ पर बैठा था उस वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था। 

रात्रि में व्याघ अपना धनुष वाण लिए शिकार की तलाश में बैठा था और उसे शिकार भी मिला परंतु निरीह जीव की बातें सुनकर वह उन्हें जाने देता। चिंतित अवस्था में वह बेल की पत्तियां तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता जाता है और जब सुबह होने को आई तभी शिव जी माता पार्वती के साथ उस शिवलिंग से प्रकट होकर शिकारी से बोले आज शिवरात्रि का व्रत था, और तुमने पूरी रात जागकर विल्वपत्र अर्पण करते हुए व्रत का पालन किया है। इसलिए आज तक तुमने जो भी शिकार किए हैं और निर्दोष जीवों की हत्या की है मैं उन पापों से तुम्हें मुक्त करता हूँ। साथ ही शिवलोक में तुम्हें स्थान भी देता हूँ। इस तरह भगवान भोले नाथ की कृपा से उस व्याघ का परिवार सहित उद्धार हो गया। 

 
 
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