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Upcoming Festival-Hariyali Teej 2021

 

Hariyali Teej 2021 Date

August 11, 2021 - Wednesday


श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रावणी तीज कहते हैं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। 

यह मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर सभी का मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं।

इस दिन स्त्रियाँ अपने हाथों पर त्योहार विशेष को ध्यान में रखते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार की मेहंदी मांडती हैं। मेहंदी रचे हाथों से जब वह झूले की रस्सी पकड़ कर झूला झूलती हैं तो यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी लगता हैं, मानो सुहागिन आकाश को छूने चली हैं। 

इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ सुहागी पकड़कर सास के पांव छूकर उन्हें देती हैं। यदि सास न हो तो स्वयं से बड़ों को अर्थात जेठानी या किसी बुजुर्ग को देती हैं। इस दिन कहीं-कहीं स्त्रियाँ पैरों में आलता भी लगाती हैं जो सुहाग का चिह्न माना जाता है। 

हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सुन्दर झांकी बडी धूमधाम से निकाली जाती है। वास्तव में देखा जाए तो हरियाली तीज कोई धार्मिक त्योहार नहीं है बल्कि महिलाओं के लिए एकत्र होने का एक नया उत्सव है। नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के पश्चात पड़ने वाले पहले सावन के त्योहार का विशेष महत्व होता है।

ज्योतिष् शास्त्र के अनुसार तृतीया तिथि का विशेष नाम सबला है। यह बलवान तिथि मानी जाती है, इस तिथि को जया तिथि भी कहते है तथा इसकी स्वामी माँ गौरी है, तृतीया आरोग्यदात्री अर्थात तृतीया तिथि आरोग्य देने वाली है। 

धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि देवी माँ गौरी ने भगवान शंकर से विवाह करने के लिए 108 बार जनम लिया और 108 वे वर्ष में 100 वर्षों तक निर्जल रह कर और केवल स्वांस वायु का सेवन कर भगवान शिव की कठोर तपस्या कर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त किया था। 

शास्त्रों के अनुसार तभी से यह प्रथा है जो भी स्त्री पूरी शुद्धता, सात्विकता और पवित्रता से भगवान शंकर और गौरी की आराधना को श्रद्धा और विश्वास से करती है। उनको माता पार्वती और भोले नाथ प्रसन्न हो कर उनके पति की दीर्घायु का वरदान देते है। साथ ही जिस कुंवारी कन्या के विवाह में विलंब हो रहा हो या जो अपनी इच्छा से अपना मनपसंद वर पाना चाहती है, वह हरियाली तीज़ के इस व्रत को पूरी आस्था के साथ तन, मन, धन से समर्पित हो करके करती है तो उसकी हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।