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Upcoming Festival-Narsingh Jayanti 2022

 

Narsingh Jayanti 2022 Date

May 14, 2022 - Saturday

हिन्दू पंचांग के अनुसार नृसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया था। जिस कारणवश यह दिन भगवान नृसिंह के जयंती रूप में बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है। 

भगवान नृसिंह जयंती की व्रत कथा इस प्रकार से है कथानुसार अपने भाई की मृत्यु का बदला लेने के लिए राक्षसराज हिरण्यकशिपु ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी व शिव जी को प्रसन्न कर उनसे अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करते ही अहंकारवश वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा और उन्हें तरह तरह के यातनाएं और कष्ट देने लगा। जिससे प्रजा अत्यंत दुखी रहती थी, इन्हीं दिनों हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रहलाद रखा गया। 

राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी बचपन से ही श्री हरि भक्ति से प्रहलाद को गहरा लगाव था। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद का मन भगवद भक्ति से हटाने के लिए कई असफल प्रयास किए, परन्तु वह सफल नहीं हो सका। एक बार उसने अपनी बहन होलिका की सहायता से उसे अग्नि में जलाने के प्रयास किया, परन्तु प्रहलाद पर भगवान की असीम कृपा होने के कारण उसे मायूसी ही हाथ लगी। अंततः एक दिन उसने प्रहलाद को तलवार से मारने का प्रयास किया, तब भगवान नृसिंह खम्भे से प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु को अपने जांघों पर रखकर हुए उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने भक्त की रक्षा की। 

हरि भक्तों के अनुसार इस दिन यदि कोई व्रत रखते हुए श्रद्धा और भक्तिपूर्वक भगवान नृसिंह की सेवा पूजा करता है तो वह सभी जन्मों के पापों से मुक्त होकर प्रभु के परमधाम को प्राप्त करता है।