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Upcoming Festival-Radha Ashtami 2021

 

Radha Ashtami 2021 Date

September 14, 2021 - Tuesday

हिंदी विक्रमी सम्वत के भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्ण प्रिया राधा जी का जन्म हुआ था,अत: यह दिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

राधाष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के बरसाना में हज़ारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। बरसाना को राधा जी की जन्मस्थली माना जाता है। बरसाना मथुरा से 50 कि.मी. दूर उत्तर-पश्चिम में और गोवर्धन से 21 कि.मी. दूर उत्तर में स्थित है। यह भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका श्री राधा जी की जन्म स्थली है। यह पर्वत के ढ़लाऊ हिस्से में बसा हुआ नगर है। इस पर्वत को ब्रह्मा पर्वत के नाम से जाना जाता है।

बरसाना में राधा-कृष्ण भक्तों का साल भर तांता लगा रहता है। श्रद्धालु इस दिन बरसाना की ऊँची पहाड़ी पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं तथा लाडली जी श्री राधा रानी के मंदिर में दर्शन कर खुशी मनाते हैं। दिन के अलावा पूरी रात बरसाना में गहमा गहमी रहती है। विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। ब्रज भूमि पर ही भगवान कृष्ण का भी जन्म हुआ था और यहीं पर उन्होंने अपनी युवा अवस्था बितायी थी। धार्मिक गीतों और कीर्तन के साथ में यह उत्सव प्रारम्भ होता है। वैष्णव जन इस दिन बहुत ही श्रद्धा और उल्लास के साथ व्रत उत्सव मनाते हैं।
 
यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद अष्टमी को ही राधा जी का जन्मदिन मनाया जाता हैं। इस दिन राधा जी का विशेष पूजन और व्रत किया जाता है।
 
राधाष्टमी पर्व - राधा जी का मंदिर, बरसाना :

सर्वप्रथम राधा जी को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर उनका श्रृंगार करें। स्नानादि से शरीर शुद्ध करके मण्डप के भीतर मण्डल बनाकर उसके बीच में मिट्टी या तांबे का शुद्ध बर्तन रखकर उस पर दो वस्त्रों से ढकी हुई राधा जी की स्वर्ण या किसी अन्य धातु की बनी हुई सुंदर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।

इसके बाद मध्याह्न के समय श्रद्धा, भक्तिपूर्वक राधा जी की पूजा करनी चाहिए। भोग लगाकर धूप, दीप, पुष्प आदि से राधा जी की आरती उतारनी चाहिए। यदि संभव हो तो उस दिन उपवास करना चाहिए। फिर दूसरे दिन सुवासिनी स्त्रियों को भोजन कराकर और मूर्ति को दान करने का बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। इस प्रकार इस व्रत को पूर्ण करें।

इस प्रकार विधिपूर्वक व श्रद्धा से यह व्रत करने पर मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है व इस लोक और परलोक के सुख भोगता है। श्री राधा जी की कृपा से मनुष्य ब्रज का रहस्य जान लेता है तथा राधा परिकरों (परिवार के सदस्य की तरह) में निवास करता है।