यह व्रत भाद्र कृष्ण चतुर्थी को किया जाता है। इसे ‘बहुला’ भी कहते हैं। यह व्रत पुत्रवती स्त्रियाँ अपने पुत्र की मंगलकामना के लिए करती हैं। अवध क्षेत्र में इस व्रत को बहुरा कहते हैं। इस दिन वहाँ पर भुने हुए अन्नों (चबेना) को खाया जाता है इसे भी बहुरा या बहुरी कहते हैं। इस क्षेत्र में इस दिन बहुला गाय की कथा भी कही जाती है तथा बहुला गाय के साथ-साथ भगवान् श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है।