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क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि

 
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि
हिंदु कलेंडर के अनुसार एक वर्ष में बारह शिवरात्रियां होतीं हैं। शिवरात्रि प्रत्येक हिन्दु माह की कृष्ण चतुर्दशी, जो कि माह का अंतिम दिन होता है के दिन मनाई जाती है। माघ मास की कृष्ण चतुर्दशी, महाशिवरात्री के रूप में, पूरे भारतवर्ष में धूम-धाम से मनाई जाती है। इसके दूसरे दिन से हिंदु वर्ष के अंतिम मास फाल्गुन का आरंभ हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर एवं मां पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था तथा इसी दिन प्रथम शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। शिव रात्री के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस दिन शिव भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं, भगवान शिव का अभिषेक करते हैं तथा पंचक्षरी मंत्र का जाप करतें हैं।
 
हिंदु शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव मनुष्य के सभी कष्टों एवं पापों को हरने वाले हैं। सांसरिक कष्टों से एकमात्र भगवान शिव ही मुक्ति दिला सकते हैं। इस कारण प्रत्येक हिंदु मास के अंतिम दिन भगवान शिव की पूजा करके जाने-अनजाने मे किए हुए पाप कर्म के लिए क्षमा मांगने और आने वाले मास में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रावधान है। शास्त्रों के अनुसार, शुद्धि एवं मुक्ति के लिए रात्री के निशीथ काल में की गई साधना सर्वाधिक फलदायक होती है। अत: इस दिन रात्री जागरण करके निशीथ काल में भगवान शिव कि साधना एवं पूजा करने का अत्यधिक महत्व है।
 
महाशिवरात्री वर्ष के अंत में आती है अत: इसे महाशिवरात्री के रूप में मनाया जाता है एवं इस दिन पूरे वर्ष में हुई त्रुटियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है तथा आने वाले वर्ष में उन्नति एवं सदगुणों के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।