सोच

 

बेटी ने आम खाकर गुठली और छिल्लका आँगन में
फेंक दिया।
मैंने देखा एक चींटी आम की तरफ
चली आ रही है, आज चींटी भर पेट भोजन
करेगी फिर सोचा कहीं ये इतना न खा ले
कि पचा भी ना पाए।
मगर ये क्या चींटी तो सिर्फ
सूंघ कर चली गयी।
बहुत आश्चर्य हुआ, कोई
चींटी मीठा आम छोड़ कर कैसे जा सकती है?
अरे!!!! ये क्या, अभी मैं ये सब विचारों के उधेड़-
बुन में ही था कि मैंने देखा,
बहुत सारी चींटियाँ पंक्तिबद्ध छिलके और
गुठली की तरफ बढ़ रहीं थीं।
अब मेरी समझ में आ गया था कि वो चींटी सिर्फ
सूंघ कर क्यों चली गयी थी।
काश, ऐसी सोच मनुष्य के मन में भी होती,
तो दुनिया का कोई
इंसान भूखा नही रहता !