Home » Vrat Vidhi » Papankusha Ekadashi vrat vidhi (पापांकुशा एकादशी व्रत विधि) Details And Information
 

Papankusha Ekadashi vrat vidhi (पापांकुशा एकादशी व्रत विधि)

 
पापाकुंशा एकाद्शी व्रत के विषय में यह कहा जाता है, कि इस व्रत की महिमा अपरम्पार है. इस एकादशी व्रत में श्री विष्णु जी का पूजन करने के लिए वह धूप, दीप, नारियल और पुष्प का प्रयोग किया जाता है. 
दशमी तिथि एक के दिन से ही व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए. दशमी तिथि के दिन सात धान्य अर्थात गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योकि इन सातों धान्यों की पूजा एकादशी के दिन की जाती है. दशमी तिथि के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए. और किसी का अहित नहीं करना चाहिए. जहां तक हो सके दशमी तिथि और एकादशी तिथि दोनों ही दिनों में कम से कम बोलना शुभ रहता है. इससे पाप कम होने की संभावना रहती है. एकाद्शी तिथि की प्रथम रात्रि में भोजन में नमक और तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. और पूर्ण ब्रह्राचार्य का पालन करना चाहिए. दशमी तिथि की रात्रि में एक बार भोजन करने के बाद, कुछ नहीं खाना चाहिए.
 
और एकादशी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेने के बाद घट स्थापना की जाती है. और उसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को रात्रि में विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. इस व्रत का समापन एकादशी तिथि में नहीं होता है. बल्कि द्वादशी तिथि की प्रात: में ब्राह्माणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद ही यह व्रत समाप्त होता है