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हरतालिका तीज पूजा विधि

 

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत करती है। हरतालिका तीज को भगवान शंकर-पार्वती का बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाती है।

हरतालिका तीज व्रत की पूजा के लिए एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं। ये प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। सभी देवताओं का आह्वान करके षोडशोपचार पूजन करें। हरतालिका तीज व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण करती हैं, और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं।

हरतालिका तीज के प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। भगवान भोलेनाथ शिव तथा माँ पार्वती की आरती और स्तोत्र के द्वारा आराधना की जाती है। 

माँ भगवती-उमा की अर्चना के लिए निम्न मंत्रों का प्रयोग करें -

ऊँ उमायै नम:ऊँ पार्वत्यै नम:ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें -

ऊँ हराय नम:, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ  पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम:

हरतालिका तीज व्रत का पूजन अगले दिन सुबह के समय समाप्त होता है, तब महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।