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चन्द्रमा वर्ष दशाफल

 

 

पूर्णबली चन्द्रमा की दशा में श्वेत रंग की वस्तुओं के व्यापार से जातक को लाभ होता है | ससुराल से धन प्राप्ति और समाज में सम्मान मिलता है | इस दशा में जातक राज्य में तरक्की, भूमि-सम्बन्धी कार्यों से लाभ तथा पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करता है |
       मध्यबली चन्द्रमा की दशा में व्यापार में मित्रों से ही हानि हो सकती है | स्त्री का स्वास्थ्य कमजोर होत्का है, परन्तु धार्मिक कार्यों में जातक कि रूचि बढती है और कृषि-कार्य से लाभ मिलता है |
          अल्पबली चन्द्रमा की दशा में जातक को वात, पित्त और कफ की बीमारियाँ घेरती हैं तथ उसके शरीर की कान्ति का नाश हो जाता है | छोटी-छोटी बातों पर मित्रादि से वैर हो जाता है | पुत्री का जन्म, धर्म का नाश तथा जातक के कार्यों में अवरोध उत्पन्न होता है |
       नष्टबलि चन्द्रमा कि दशा पुत्रों, स्वजनों और सम्बन्धियों से वैर बढ़ती है | उस वक्त जातक पर झूठा कलंक लगता है | पत्नी को उदर-सम्बन्धी बीमारी होती है, जिससे  संचित धन का नाश होने लगता है |
         यदि चन्द्रमा ६, ८, १२वें स्थानों में न हो, तो वह हीनबली होकर भी आधा शुभफल देता है, हीनबली भिन्न स्थानों पर हो, तो मध्यबली का फल देता है और मध्यबली हो, तो हीनबली शुभफल देता है तथा उत्तमबली हो, तो अत्यन्त शुभफल देता है |