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ज्योतिष में शनि का महत्त्व

 

शनि मुख्य रूप से शारीरिक श्रम से संबंधित व्यवसायों तथा इनके साथ जुड़े व्यक्तियों के कारक होते हैं जैसे कि श्रम उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक, इमारतों का निर्माण कार्य तथा इसमें काम करने वाले श्रमिक, निर्माण कार्यों में प्रयोग होने वाले भारी वाहन जैसे रोड रोलर, क्रेन, डिच मशीन तथा इन्हें चलाने वाले चालक तथा इमारतों, सड़कों तथा पुलों के निर्माण में प्रयोग होने वाली मशीनरी और उस मशीनरी को चलाने वाले लोग। इसके अतिरिक्त शनि जमीन के क्रय-विक्रय के व्यवसाय, इमारतों को बनाने या फिर बना कर बेचने के व्यवसाय तथा ऐसे ही अन्य व्यवसायों, होटल में वेटर का काम करने वाले लोगों, द्वारपालों, भिखारियों, अंधों, कोढ़ियों, लंगड़े व्यक्तियों, कसाईयों, लकडी का काम करने वाले लोगों, जन साधारण के समर्थन से चलने वाले नेताओं, वैज्ञानिकों, अन्वेषकों, अनुसंधान क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, इंजीनियरों, न्यायाधीशों, परा शक्तियों तथा इसका ज्ञान रखने वाले लोगों तथा अन्य कई प्रकार के क्षेत्रों तथा उनसे जुड़े व्यक्तियों के कारक होते हैं।

शनि मनुष्य के शरीर में मुख्य रूप से वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा ज्योतिष की गणनाओं के लिए ज्योतिषियों का एक र्वग इन्हें तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानता है जबकि ज्योतिषियों का एक अन्य वर्ग इन्हें पुरुष ग्रह मानता है। तुला राशि में स्थित होने से शनि को सर्वाधिक बल प्राप्त होता है तथा इस राशि में स्थित शनि को उच्च का शनि भी कहा जाता है। तुला के अतिरिक्त शनि को मकर तथा कुंभ में स्थित होने से भी अतिरिक्त बल प्राप्त होता है जो शनि की अपनी राशियां हैं। शनि के प्रबल प्रभाव वाले जातक आम तौर पर इंजीनियर, जज, वकील, आई टी क्षेत्र में काम करने वाले लोग, रिअल ऐस्टेट का काम करने वाले लोग, परा शक्तियों के क्षेत्रों में काम करने वाले लोग तथा शनि ग्रह के कारक अन्य व्यवसायों से जुड़े लोग ही होते हैं। शनि के जातक आम तौर पर अनुशासन तथा नियम की पालना करने वाले, विश्लेषनात्मक, मेहनती तथा अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखने वाले होते हैं। ऐसे जातकों में आम तौर पर चर्बी की
मात्रा सामान्य से कुछ कम ही रहती है अर्थात ऐसे लोग सामान्य से कुछ पतले ही होते हैं।

मेष राशि में स्थित होने पर शनि बलहीन हो जाते हैं तथा इसी कारण मेष राशि में स्थित शनि को नीच का शनि भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त शनि कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव के कारण भी बलहीन हो सकते हैं। शनि पर किन्ही विशेष बुरे ग्रहों का प्रभाव जातक को जोड़ों के दर्द, गठिया, लकवा, हड्डियों का फ्रैकचर तथा हड्डियों से संबंधित अन्य बिमारियों से पीड़ित कर सकता है। कुंडली में शनि पर किन्ही विशेष ग्रहों का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक की सामान्य सेहत तथा आयु पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकता है क्योंकि शनि व्यक्ति के आयु के कारक भी होते हैं।