मुन्थाफल

 

 

मुन्था का वर्षफल में सर्वाधिक महत्व रहता है | विभिन्न स्थानों में मुन्था फल भी भिन्न - भिन्न रहता है |
 
यदि मुन्था लग्न में हो , तो जातक सुख - शान्ति तथा आरोग्य -लाभ करता है | उसे राज्य में तरक्की और समाज में भी सम्मान मिलता है |
 
यदि मुन्था लग्न मे द्वतीय भाव मे हो, तो जातक को अकस्मात द्रव्य-प्राप्ति होती है |
व्यापार से विशेष लाभ होता है | सट्टा, लेन-देन, ब्याज-बट्टा आदि कार्यो में जातक द्रव्य लाभ उठता है | तथा तस्करी आदि कार्यो या सम्बन्धित व्यक्तियों से भी वह लाभ उठता है |
 
यदि मुन्था लग्न से तीसरे स्थान पर हो, तो जातक किसी भी प्रकार के साक्षात्कार मे सफलता प्राप्त करता है | शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता है और यदि मुकदमा आदि चल रहा होता है, तो उसकी जीत निश्चित होती है | स्वास्थ्य- लाभ के अतिरिक्त वह समाज मे सम्मान प्राप्त करता है | उस के व्यक्तित्व मे निखार आता है | मित्र-संख्या बढती है और उअके अनेक रुके हुए कार्य आसानी से बन जाते हैं |
 
चतुर्थ स्थान में स्थित मुन्था जातक के लिए दुःखदायी होता है | वह मात्र-सुख से वंचित होता है, परिवार मे कलह बढ़ता है और मानसिक चिन्ता से हर समय खिन्न, मलिन और दुखी होकर जातक भटकता रहता है |
 
यदि वर्षफल में मुन्था लग्न से पांचवे स्थान मे हो, तो जातक आरोग्य-लाभ करता है, उसे सन्तान सुख मिलता है, पुत्र उन्नति करता है अथवा राष्ट्रव्यापी ख्याति-लाभ करता है| कुटुम्बियो से प्रेम बढ़ता है और संन्तान के माध्यम से उसकी स्वेम की भी इज्जत बढ़ती है |
 
यदि मुन्था छठें स्थान पर हो, तो जातक का परिवार विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त होता है, माकन, खेत अथवा खलिहान मे आग लगती है | शत्रुओ द्वारा उसे शारीरिक हानि भी उठानी पड़ती है | ननिहाल मे उसके मामा या उसे सम्बन्धित परिवार मे किसी  की मृत्यु भी संभव है |
 
यदि मुन्था सप्तम मे हो, तो जातक की पत्नी कई प्रकार के रोगों से परेशान होती है और उसका संचित द्रव्य दवाओ आदि मे व्यय हो जाता है | उसकी सन्तान भी नाना प्रकार के कष्टों का सामना करती है और राज्य-भय से पीड़ित रहती है | वह स्वयम भी कई प्रकार कि हानियाँ उठाता है तथा तिरस्कारपूर्ण स्थान-परिवर्तन करता है |
 
यदि अष्टम स्थान में मुन्था हो, तो जातक की मृत्यु होती है या म्रत्यु-तुल्य कष्ट भोगता  है | उदर, चर्म या रुधिर-सम्बन्धी कई विकार उत्पन्न हो जाते हैं | मष्तिष्क मे पीड़ा या नेत्रपीड़ा रहती है | घर मे किसी स्वजन कि म्रत्यु भी हो सकता है या दुर्घटना आदि की आशंका बनी रहती है |
 
नवम भाव मे मुन्था हो, तो जातक का अधिकांश समय धार्मिक कार्यो मे व्यतीत होता है  | भाग्योदय होता है और उसके कई रुके हुए तथा सोचे हुए कार्य निव्र्विघ्न्तापुर्वक सम्पन्न हो जाते हैं | भाग्य मे वृद्धि होने के साथ-साथ समाज मे भी उसे सम्मान प्राप्त होता है एवं आय के नवीन स्रोत खुल जाते हैं | गंगा, हरिद्वार आदि तीर्थ यात्रा का भी योग बनता है और अपने माता-पिता को भी तीर्थ-यात्रा कराने मे समर्थ होता है |
 
यदि मुन्था दसवें स्थान मे हो, तो जातक के सम्मान मे वृद्धि होती है, राज्यपक्ष  मे उन्नति होती है | नई नौकरी लगती है या नौकरी मे प्रमोशन हो ता है | तात्पर्य यह है कि राज्य-सम्बन्धी एवं नौकरी-सम्बन्धी कार्यों मे सफलता प्राप्त होती है | शासन मे अधिकार प्राप्त होता है और जातक एम.एल.ए. या एम.पी. आदि हो, तो उसकी राष्ट्रव्यापी ख्याति होती है |
 
यदि मुन्था ग्यारहवें भाव मे हो, तो जातक को उस वर्ष व्यापार मे घाटा उठाना पड़ता है,  समाज मे तिरस्कार होता है अथवा वह ऐसे कार्य कर बैठता है, जिससे समाज की दृष्टि मे गिर जाता है |
 
बारहवें भाव मे मुन्था जातक के लिए कई प्रकार के रोग उत्पन्न करता है | उसे विभिन्न प्रकार के कष्ट उठाने पडते हैं और रोग आदि के कारण उसका संचित द्रव्य नष्ट हो जाता है |