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वास्तु के अनुसार पूजा स्थल

 

 

घर में पूजा स्थल होने से मन को शांति मिलती है लेकिन अगर यह वास्तु सम्मत हो तो और भी शुभ फल देता है।
 
1- घर में पूजा स्थल होना शुभता का परिचायक है इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर की पवित्रता भी बनी रहती है वहीं अगरबत्ती आदि के धुएं से वातावरण सुगंधित रहता है। विषाणु व कीटाणु घर में प्रवेश नहीं करते। 
 
2- पूजा स्थल पूर्वी या उत्तरी ईशान  कोण(उत्तर-पूर्व)  में होना चाहिए चूंकि ईश्वरीय शक्ति ईशान कोण से प्रवेश कर नैऋत्य कोण(पश्चिम-दक्षिण) से बाहर निकलती है। इसका एक हिस्सा शरीर द्वारा ग्राह्य बायोशक्ति में बदलकर जीवनोपयोगी बनता है। 
 
3- पूजा करने वाले का मुंह पश्चिम में हो तो अति शुभ रहता है इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व की ओर होना चाहिए।
 
4- पूजा करते समय यदि मुंह पूर्व में हो तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
 
5- शौचालय तथा पूजा घर पास-पास नहीं होना चाहिए।
 
6- पूजा स्थल के समक्ष थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए जहां आसानी से बैठा जा सके। 
 
7- पूजा स्थल के नीचे कोई भी अग्नि संबंधी वस्तु जैसे इन्वर्टर या विद्युत मोटर नहीं होना चाहिए। इस स्थान का उपयोग पूजन सामग्री, धार्मिक पुस्तकें, शुभ वस्तुएं रखने में किया जाना चाहिए।